मैंने दरिया में छलांग लगाई... को नवंबर 02, 2013 लिंक पाएं Facebook Twitter Pinterest ईमेल दूसरे ऐप यूँ ही नहीं मैंने दरिया में छलांग लगाई, दूर गगन में, गगन के आँगन में, मुक्त-स्वछन्द पंछियों को उड़ता देख, उर्जा-साहस-विश्वास की प्रबल शक्ति पाई | कवि सुनील जाधव,नांदेड, महाराष्ट्र टिप्पणियाँ
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