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एक बूंद ...


एक बूंद पानी की
कमल पत्र पर 
मोती बनजाती हैं 
बनजाता हैं 
उसका सुन्दर अस्तित्व 
बिना जलनिधि के |

नहीं देती जलनिधि में वह दिखाई   
वह  हो जाती हैं 
अस्तित्व हीन 
पाकर स्पर्श कमल पत का 
वह उभरती हैं दुनिया के सामने 
स्पष्ट आकर्षित आकार लेकर |

सौन्दर्य खिल उठता हैं 
कमल पत्त का भी 
बिन कमल के 
उस एक बूंद से ही 
मैं भी समाज की जलनिधि में 
अस्तित्व हीन बन गया हूँ |

मैं भी
बनना चाहता हूँ 
वह एक बूंद 
जो 
कमल पत्त का सहारा पाकर
सुन्दर बन जाता हैं |












डॉ.सुनील जाधव 
चलभाष : -०९४०५३८४६७२ 


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