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'' दामिनी''


                                                                                                                         चित्र सौजन्य गूगल          
जिंदिगी हारी नई
इन्सानों के हृदयों में ,
ह्रदय के हर कोने में
जिन्दगी के जीने में |

हैवानो के विरुद्ध
सुप्त महा ज्वाला की ,
भीषण आग कों
वह आज जगा गई |                                                                                    


हजारों वर्षों के लिये ,
वह जीत गई |
अपनी बहनों का ,
लोह कवच बना गई |

अब वह नहीं बुझेगी,
चिंगारी जो भडक गई |
हर दिल रोया ,
दामिनी जो तड़क[चमक] गई|


चपा–चपा जो सोया था ,
नींद से वह जगा गई |
हर आँख में क्रोध जल उठा ,
आँखें जो नम हुई |

उसे सोने दो ,
वह चिर निद्रा में सोई |
पलकों में आँसू सजा लो,
उसे नींद जो गहरी आई |

सुनील जाधव ,नांदेड
महाराष्ट्र
९४०५३८४६७२
  

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