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संतोष टेल्किकर की एक कविता

मैं,
आज
बहुत उदास हूँ|

क्यों ?
किसलिए ?
मैं नहीं जानता|

पर हां
इतना जरूर
जानता हूँ |

मनुष्य को 
धन-दौलत से बढ़कर
होता है मानमर्तबा |

होती है 
उसकी अपनी
अहमियत |

जमीन
और अपना
अस्तित्व...|










संतोष टेल्किकर ,कलकत्ता 

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