एक षडयंत्र हैं
सोच–समझ कर
किया हुआ
नियम बद्ध
श्रखलाओं से श्रखलाओं
को जोड़ा जाने वाला
कतार बद्ध
घृणित षडयंत्र |
२]
जीवन–मरण का
प्रश्न बन जाता हैं
विकृत मानसिकता
के तमिय सिहांसन
पर आरुढ़ हो कर
निकला हुआ
घोर निंदनीय
पैशाचिक षडयंत्र
|
३]
व्यक्ति को
समूह समाज
स्वजन –परिजन
से विलग कर
बड़े इत्मिनान से
प्रसन्न चित्त
मृत्यु की पृष्ठ भूमि
बनाता कुर्मी षडयंत्र |
४]
किसी की
हँसती-मुस्कुराती
मासूम जिन्दगी से
खिलवाड़ करता
जिन्दगी के नाजुक
धागे को तोड़ कर
जोर-जोर से ठहाके लगाता
जश्न करता षडयंत्र |
सुनील जाधव ,नांदेड
बहुत अच्छी ,भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंआभार
अनु