नव साहित्यकार में अतिथि मेहमानों का स्वागत हैं | नव साहित्यकार में छपी सारी सामग्री का सर्वाधिकार सुरक्षित हैं | डॉ.सुनील जाधव ,नांदेड [महाराष्ट्र]|mobile-०९४०५३८४६७२ या इस मेल पर सम्पर्क करें -suniljadhavheronu10@gmail.com

ताशकंद - लघु कहानी


                                                              चित्र सौजन्य गूगल 
              

सोवियत संघ से लम्बे संघर्ष के बाद उजबेकिस्थान आझाद हुआ था | उसी उजबेकिस्थान की राजधानी ताशकंद जो लाल बहाद्दुर शस्त्री जी के प्रसिद्ध करार और उनके देह त्याग के रूप में अंकित हो गया है | ताशकंद खूबसूरत लोगों का शहर है | केवल खूबसूरत लोग ही नही बल्कि स्वच्छता और सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है | वहां की सफाई ,स्वच्छता ,सुन्दरता को देख मन प्रसन्न हो रहा था | सुन्दर सड़के, सडकों के किनारे, नाना भांति के फूल पौधों से सुशोभित थे | चिनार के ऊँचे लम्बे पेड़ ..|
               कमाल था कहीं भी कोई कूड़ा करकट नहीं | मैंने रुस्तम गाइड से पूछा -
‘’ रुस्तम यहाँ कहीं भी कचरे का एक कतरा तक नहीं दिखाई दे रहा हैं |
हर जगह साफ,स्वच्छ और सुंदर दिखाई दे रही है |
क्या बात है ? यह केसे हो सकता है ?’’
मेरे भारतीय मन ने रुस्तम से आश्चर्य से पूछा था |
‘’ यहाँ हर माँ अपने बच्चों को बचपन से सिखाती है ,
’तुम यदि कचरा करोगे, तो इसे उठाने वाला बाहर से कोई नही आयेगा’ |’’
                                                     रुस्तम गाइड ने मुस्कुराते हुए कहा था |
                                                                 डॉ.सुनील जाधव ,नांदेड 

टिप्पणियाँ