चित्र सौजन्य गूगल
सोवियत संघ से लम्बे संघर्ष के बाद
उजबेकिस्थान आझाद हुआ था | उसी उजबेकिस्थान की राजधानी ताशकंद जो लाल बहाद्दुर
शस्त्री जी के प्रसिद्ध करार और उनके देह त्याग के रूप में अंकित हो गया है |
ताशकंद खूबसूरत लोगों का शहर है | केवल खूबसूरत लोग ही नही बल्कि स्वच्छता और
सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है | वहां की सफाई ,स्वच्छता ,सुन्दरता को देख मन
प्रसन्न हो रहा था | सुन्दर सड़के, सडकों के किनारे, नाना भांति के फूल पौधों से सुशोभित थे | चिनार के ऊँचे लम्बे
पेड़ ..|
कमाल था कहीं भी कोई कूड़ा करकट
नहीं | मैंने रुस्तम गाइड से पूछा -
‘’ रुस्तम
यहाँ कहीं भी कचरे का एक कतरा तक नहीं दिखाई दे रहा हैं |
हर जगह
साफ,स्वच्छ और सुंदर दिखाई दे रही है |
क्या बात है ?
यह केसे हो सकता है ?’’
मेरे भारतीय
मन ने रुस्तम से आश्चर्य से पूछा था |
‘’ यहाँ हर
माँ अपने बच्चों को बचपन से सिखाती है ,
’तुम यदि कचरा
करोगे, तो इसे उठाने वाला बाहर से कोई नही आयेगा’ |’’
रुस्तम गाइड ने मुस्कुराते हुए कहा था |
डॉ.सुनील जाधव ,नांदेड
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