चित्र गूगल सौजन्य
१.
असीम
सलिल बीच
अटकेलियाँ करती
उमड़-घुमड़
लघु लहरे
जैसे
नन्ने बालक
अगणित रूप में
खेल खेल रहे |
२.
कभी
भासित होता
खेल,मस्ती
लड़ाई झगड़ा
होता पुन: मेल
नीचे-ऊपर
कभी दायें-
कभी बायें
उधम मचाती लहरे |
३.
सागर के सीने पर
चल रहा हँसी
ठिठोलियों का मंजर
गर्जन-तर्जन
हार-जीत का जश्न मानती लहरे
उच्छल कूद तो
कभी दौड़ लगाती लहरे
छूकर आती किनारों को
वीर उत्साही मुस्कुराती हुयी लहरें |
४.
बीच समन्दर में
ऊँची-नीची ,
छोटी-बड़ी लहरें
आपस में
घुल-मील कर
अपरिमित
शक्ति का
प्रदर्शन करती
जश्न मनाती लहरें |
५.
गंभीर सोच है
उसकी
अथाह गहराई
उसमें
विशाल हृदय
दीर्घ काया
नाना भांति के
जीवों का
रत्नों की हैं वह माया |
सुनील जाधव ,नांदेड
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