चित्र सौजन्य गूगल
देखो,
सूनो
....
गौर
से......
सुनो
क्या
तुम्हे ....
सुनाई
दे रही है
कोई
आवाज ?
एक
बहन
जिसके
हाथ में है राखी
एक
पत्नी जिसके माथे पर
अब
सिंदूर नही बाकी
एक
माँ
जिसकी
आँखें देखने वाली थी
बेटे
की सुंदर, मोहक, झाँकी |
सुन
रहे हो उनका क्रन्दन ?
वह
अपने हाथों की
चुडिया
तोड़ रही है
देखा
तुमने वह दृश्य ?
वह
राखी को देख
सिसक-सिसक
कर
खून
के आँसू बहा रही है ?
अंधी
माँ
जिसने
हाल ही में
देखना
शुरू किया था
पर
वह नही देख पाई है
अपने
होनहार
शुर-वीर
बेटें को
प्राणों
के साथ खोई है |
क्या
तुम्हे सुनाई दे रहा है ?
क्या
तुम्ह सच में ही सुन रहे हो ?
या
उन शहीदों की माँ, बेटी
बहन,
पत्नी की अंत: चीखों से
कानो
के पतले पर्दे फट गये है ?
या
फिर जानबूझ कर
फटने
का बहाना कर रहे हो ?
क्या
तुम्हे किसी ने सजा दी है ?
हाथ
बाँधकर एक ऊँगली
मुह
पर रख शांत बैठे हो ?
या
कोई घोर साधना कर रहे हो ?
संकट
जब तुम पर आएगा
और
तब तुमारा कवच
तुमारी
रक्षा करेगा ?
ऐसा
क्या करना होगा
शहीदों
के परिजनों को
जिस
कारण प्रत्येक शब्द
जो
आंसुओं में डूबकर
बाहर
निकल रहे है
शुद्ध
रूप में से
और
स्पष्ट सुनाई दे |
कल
थी छह तारीख अगस्त २०१३
ठीक
बजे थे दो
पडोसी
कायर सेना ने
पाँच
शुर वीर योद्धाओं को
कर
दिया था शहीद
हर
गोली सीने पर खाई थी
वे
लड़ते-लड़ते हुए शहीद |
सुनील
जाधव ,नांदेड
महाराष्ट्र
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