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मेरा एक छात्र -''संतोष ''

           दोस्तों कई दिनों के बाद मेरा एक छात्र जो मुंबई में फिल्मो में स्ट्रगल कर रहा,तथा विभिन्न नाटकों में अभिनय करता हैमुझसे मिलने के लिए आया था वह ईमानदार,परिश्रमीस्वाभिमानीजिज्ञासु छात्र है | वह जब अपना लक्ष्य तय कर लेता है | तबतक उसे चयन नहीं मिलाता जबतक वह अपना लक्ष्य प्राप्त न करले | उसका और एक स्वभाव है ''आज्ञाकारी'' | इस संदर्भ में मैं आप को एक किस्सा सुनाता हूँ | २००३ की बात है | मैं यशवंत कॉलेज,नांदेड ,महाराष्ट्र में पढाता था | आज भी वहीं हूँ | मैं युवक महोत्सव के लिए आदिवासी नृत्य निर्देशित कर रहा था |
एक लड़का विनम्र स्वभाव वाला मेरे पास आया और उसने कहा ,
''सर, मैं भी नृत्य में सहभाग लेना चाहता हूँ | आप जो कहोगे मैं वह करने के लिए तैयार हूँ | आप मुझसे जितनी मेहनत चाहे करवाले | मैं आप को निराश नही करूंगा |''
इस पर मैंने उसकी उत्कंठा को देखकर कहा था ,
'' ठीक है , में तुझे इस नृत्य में शामिल कर सकता हूँ | पर मैं प्रेक्टिस दिन में या श्याम को नही लेता | सुबह ०४:०० बजे लेता हूँ | वह भी कॉलेज में नहीं एयर पोर्ट ग्राउंड में ..| यदि तुम्हे मंजूर हो तो हाँ कहना |''
उसने तनिक भी देरी न करते हुए कहा था |
''सर,मैं तैयार हूँ ? मैं सुबह ०४:०० बजे पहुँच जाउँगा |''
मैंने जिस सुबह आने के लिए कहा था, वह बिलकुल आ गया था | मैं सुबह ०३:५० मिनट पर पहुंचा था | एयर पोर्ट पर अबतक कोई नहीं आया था | पर अँधेरे में मुझे एक आकृति दिखाई दी जो बैठने के स्थान पर बैठा था | अचानक वहां से आवाज आई |
''सर,मैं संतोष वडगिर हूँ |''
''मैंने उससे कहा तू आगया, कब आया रे ?''
उसने बताया ,'' सर मैं यहाँ ०३:०० बजे ही पहुँच गया | और मैं तब से यहाँ कसरत कर रहा हूँ |''
''तू रात भर सोया नहीं क्या ? इतने जल्दी आ गया |''
वास्तव में वह रात भर सोया नही था | वह सुबह होने की प्रतीक्षा कर रहा था | उसमें किसी भी कार्य को करने का एक जनून था |
आगे उसके और अन्य उस जैसे ९ छात्रों ने मिलकर खूब मेहनत की थी | और युवक महोत्सव में रिकॉर्ड तोड़ अंक लेकर प्रथम क्रम प्राप्त किया था |आजतक उस रिकोर्ड को किसी ने भी ब्रेक नही किया है | आज भी वह यादे ताजा है | जब भी संतोष जैसे छात्र मुझसे मिलने के लिए आते है , तो मैं अतीत में खो जाता हूँ |
डॉ.सुनील जाधव ,नांदेड

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