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जवाहर विद्यालय,बसमत नगर में दो घंटे [ डायरी-संस्मरण ]


आज १९ सितम्बर,२०१३ को जिला नांदेड, परभणी और हिंगोली के बीचो-बीच तहसील बसमतनगर में जवाहर नवोदय विद्यालय में सृजनात्मक शिबिर में संसाधन व्यक्ति के रूप में मुझे वहाँ जाने का अवसर प्राप्त हुआ था | विद्यालय तहसील बसमत नगर शहर से बाहर तीन किमी की दूरी पर प्रकृति की गोद
में बसा था | बिलकुल प्राचीन कालीन गुरुकुल की भांति | मित्र प्रो.डॉ.ज्ञानेश्वर गाड़े एवं डॉ.रवि वडवनकर ने मुझे आमंत्रित किया था | भारत सरकार के आधीन चलने वाला यह विद्यालय कक्षा पांच से बारह तक चलता है | सम्पूर्ण भारत में इनकी संख्या लगभग ६०० है | विद्यालय एक जिले में एक के प्रमाण में होता है | मैं मित्र रवि के बाइक पर बस स्टैंड से स्कूल पहुंचा था | विद्यालय में प्रवेश करते समय एक प्रवेश द्वार था | जिस पर लिखा हुआ था | जवाहर विद्यालय, बसमतनगर | प्रवेश द्वार से होते हुए हम स्कूल में पहुँचे थे | स्कूल में पहुँचते ही प्रधानाचार्य प्रसाद जी के कक्ष में उनसे मुलाखात हुई थी | कुछ नाश्ता कर लगभग चार-पांच जिले से आये छात्रों के सम्मुख दिए गये विषय पर बात करना था | इस बहाने फिर से बच्चों के साथ रूबरू होने का मौका मिला था | उनकी जिज्ञासा, मुस्कान आदि के कारण मैं प्रभावित और उत्साहित हो गया था | कुल डेढ़ घंटे तक उनसे मुखातिब होता रहा | छात्र थे कि ‘’सर और सुनाई और सुनाईये’’ पर आड़े हुए थे | उनके उत्साह को देख कर मुझे आनंद आ रहा था | मैंने उन्हें वृत्तान्त लेखन तथा यात्रा साहित्य पर अपने विचार रखे थे | साथ ही अपने अनुभवों को भी सूना रहा था | उनके आग्रह पर कुछ कवितायेँ भी मैंने सुनाये थी| जो उन्हें बेहद पसंद आये थी |

कार्यक्रम खत्म होने के उपरान्त मुझे विद्यालय के बच्चों के साथ भोजन करने का मौका मिला था | भोजन बेहतरीन था | स्कूल का कैम्पस ३३ एकड़ में था | छात्र और अध्यापक यही रहते है | सबके लिए अलग-अलग व्यवस्था है | यहाँ पढने वाले ७५ प्रतिशत बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से थे और बाकी शहरी इलाके से | भोजन करते हुए वहाँ के लैबररियन शेख से रवि ने मुलाखत करवाई थी | शेख सर ने बताया था कि ये बच्चे बेहद गरीबी में से ऊपर आये है | अभी तो ये गणवेश में अच्छे दिखाई दे रहे है | इनके लिए इक नाइ भी है | बीमार पड़ने पर नर्स है | और एक विजेट डॉक्टर भी है | जब ये १ जून को छुटियाँ बिताकर लौटते है तब इनकी अवस्था देखना | पुराने कपड़े , बाल अस्त व्यस्त, किसी-किसी छात्र-छात्राओं के पैरों में चप्पल तक नही होती | यहाँ इने सारी सुविधाये दी जाती है | यदि यह स्कूल नहीं होता तो ये गरीब किसान,मजदूरों के बच्चे पढ़ ही नही पाते | यहाँ पच्चीस सालों से हमने रिजल्ट भी मेंटनस किया है | यहाँ के छात्र लगभग ९० % अंक लेकर पास होते है | हमारे कई छात्र आय.ए.एस, आय.पी.यस, इंजीनियर, डॉक्टर बने हैं | कुछ अमरीका और नासा तक गये है | सुनकर मुझे अच्छा लगा | मैंने उन्हें इस पर बधाई दी थी | उन्होंने स्कूल के बारे में एक रोचक बात बताई थी | हमारे स्कूल से कई छात्र एम्.बी.बी.एस को लगे है | हाल ही में एक गरीब का लड़का उसका नंबर एम्.बी.बी.एस को लग गया था | पर उसके पास इतने रूपये रहीं थे कि वह प्रवेश प्राप्त कर सके | उसने समाचार पत्र में विज्ञप्ति दी | उसके लिए चहु ओर से मदद के हाथ सामने आने लगे थे | स्कूल के बच्चों ने अपने-अपने हैसियत से उस बच्चे को कुल मिलाकर १५००० हजार रु दिए थे | अब उसे प्रवेश प्राप्त हो गया था |

कहने के लिए बहुत कुछ है, पर मैं यहाँ रुकता हूँ ..अगली बात फिर कभी सुनाऊंगा |



डॉ.सुनील जाधव,नांदेड

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