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गोपाल कृष्णा “चौहान” की लघु कहानियाँ

अमीर - गरीब

 

माँ ने बिस्किट के पेकेट लाने के लिए गोलू को स्वदेशी बेकरी पर भेजा | रास्ते में वो क्रीमी पेस्ट्री खाने की सोच रहा था | उसके वहां पर पहुँचने से पहले ही मांगने वाले बच्चों से उसने खुद को घिरा हुआ पाया जो संख्या घट कर एक रह गयी | सुबह से खाना नहीं खाया ऐसा कहकर वो बच्चा दस रूपये की मांग कर रहा था और गाड़ी से उतरे एक अमीर आदमी के पास वो चल दिया बिस्किट से ५ रुपये ही बचे थे पेस्ट्री ८ की थी | गोलू मन मार कर वापस घर की ओर चल दिया |
जाते जाते देखा तो वो भूखा बच्चा पेस्ट्री खा रहा था

एप्पल आई - फोन

 

राजू और गोलू की दोस्ती बहुत पुरानी है |
राजू ने अपना एप्पल का फोन का जेब से निकाला और मेसेज करने लगा
गोलू ने फोन देखा और कहा यार ये तो बहुत महंगा फोन है , तुमने खुद खरीदा है |
राजू ने कहा कि वो फोन उसके बड़े भाई ने दिलवाया है | बात को जारी रखते हुए राजू बोला कि  मुझे पता है कि तुम सोच रहे होंगे कि काश तुम्हारा भी कोई ऐसा भाई होता जो इतनी कीमती फोन तुम्हे गिफ्ट देता
गोलू की आँखों में चमक थी | वो बोला कि मैं तुम्हारे भाई जैसा बनना चाहता हूँ |


लेखक : गोपाल कृष्णा “चौहान” |
लघुकथा संग्रह : छोटा लिफ़ाफ़ा |


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