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यशवंत में धूमधाम से १३९ वी प्रेमचंद जयंती मनायी गयी


अध्यक्ष-प्राचार्य जी.एन.शिंदे, संयोजक-डॉ.सुनील जाधव, 
वक्ता-डॉ.संदीप पाइकराव, डॉ.विजयसिंह ठाकुर, डॉ.ज्योति मुंगल एवं छात्र 

`           नांदेड़ – यशवंत कॉलेज के हिंदी विभाग  की ओर से प्रेमचंद जी की १३९ वी जयंती बड़ी धूमधाम से मनायी गयी | अतिथि वक्ता के रूप में इंदिरा गाँधी कॉलेज, सिडको के हिंदी विभागप्रमुख डॉ.संदीप पाइकराव जी को आमंत्रित किया गया था | इस वक्त मंच पर अध्यक्ष रूप में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.जी.एन.शिंदे, हिंदी विभाग प्रमुख डॉ.विजयसिंह ठाकुर, हिंदी विभाग के डॉ.सुनील गुलाबसिंग जाधव, डॉ.शोभा ढानकीकर, डॉ.ज्योति मुंगल जी की सक्रिय उपस्थिति रही | कार्यक्रम का संयोजन करते हुए काव्यमय भूमिका डॉ.सुनील जाधव रखी तो सूत्रसंचलन प्रियंका गायकवाड, शिवानी शिंदे, अतिथि परिचय वैष्णवी सूर्यवंशी ने तो स्वागत गीत आरती नरवाडे और प्रीति नरवाडे ने प्रस्तुत किया |
            प्रेमचंद जी के जीवन पर आधारित प्रेमचंद विशेषांक के रूप में प्रयास १२ भित्ति पत्र का विमोचन अतिथि के हाथो सम्पन्न होने के उपरांत अतिथि का “वर्तमान साहित्य में प्रेमचंद का महत्व ” इस विषय पर व्यख्यान सम्पन्न हुआ | व्यख्यान देते हुए संदीप जी ने कहा, “ प्रेमचंद का साहित्य आम आदमी का साहित्य हैं | समाज के वास्तव का दर्शन करवाता हैं | आज का साहित्य हमे रोटी नहीं दे सकता | भूक नहीं मिटा सकता | भूक से पीड़ित ही वेदना, पीड़ा को प्रस्तुत नहीं कर सकता बल्कि आज का सहित्य व्यक्ति केन्द्रित हो रहा हैं | केवल घटना प्रधान, प्रसंग प्रधान व्यक्तिवादी सहित्य निर्मित कर रहा हैं | आज भी १५० साल बाद भी प्रेमचंद ने कथाशिल्प अपने सहित्य के लिय चुना था | वह सामन्य वर्ग का दर्द, समस्या का समाधान करनेवाला था | समाज को दृष्टी देनेवाला था |”
अंत में अध्यक्षीय समारोप करते हुए ठाकुर विजय सिंह ने कहा, “ आज के सभी आंदोलन सत्ता केन्द्रित हैं | उसमें किसानों और समाज का भला करने वाला | कोई बात साहित्य में नहीं आ रही हैं | प्रेमचंद के साहित्य के बाद कथा शिल्प में और भाषा शिल्प में जमीन आसमान का फर्क दिखायी देता हैं | मानवीयता की राह बतानेवाले साहित्य की आज भी जरूरत हैं |

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डॉ.सुनील जाधव(भूमिका), डॉ.संदीप पाइकराव, डॉ.विजयसिंह ठाकुर 


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