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अच्छे वक्ता के २४ गुण लेखक:- डॉ.सुनील जाधव


डॉ.सुनील जाधव-९४०५३८४६७२ 

व्युत्पत्ति एवं परिभाषा :-
वक+ता = वक शब्द वाक् से बना हैं | वाक् का अर्थ होता हैं  | कहना, या बोलना | और यहाँ  “ता” का अर्थ होता हैं-अभिव्यक्त करनेवाला | इस रूप में वक्ता का अर्थ हुआ- अर्थपूर्ण या वाकचातुर्य से युक्त बोलने या भाषण करनेवाला व्यक्ति |
क्षेत्र :-
वक्ता के विभिन्न क्षेत्र हैं | जैसे:- सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, आर्थिक (व्यापार-व्यवसाय), सांस्कृतिक, साहित्यिक, शैक्षिक, मिडिया आदि | आज उक्त प्रत्येक क्षेत्र में आच्छे वक्ता की आवश्यकता हैं | वह अपने अच्छे वक्तव्य के जरिये लाखों रुपयों की कमाई कर सकता हैं | यह उसके रोजगार का साधन बन सकता हैं |
गुण :-
आज मिडिया, राजनीति, व्यापार-व्यवसाय, ध्रर्म के क्षेत्र में वक्ता अपने वक्तव्य से कमाई कर रहे हैं |  ऐसे में जो व्यक्ति अच्छा वक्ता बन सकता हैं, वह यह सोचता हैं कि वह अच्छा वक्ता कैसे बने ? इसीलिए हमे यहाँ अच्छे वक्ता के गुणों का अध्ययन करना होगा ताकि अच्छा वक्ता बन सकें |

  1. मंच और माइक :- भाषण करने से पहले मंच पर खड़े रहना और माइक की सही पकड़ होनी चाहिए |
  2. सम्बोधन :- मंच सम्बोधन, श्रोता सम्बोधन आदर सूचक एवं दोस्ताना हो | जिससे उन पर प्रभाव डाला जा सकें | महोदय/महोदया, आदरणीय/श्री आदि शब्दों का प्रयोग हो |
  3. आरम्भ :- भाषण के आरम्भ में कविता, श्लोक, वाक्य,शायरी  आदि से करें |
  4. आत्मविश्वास:- आँखों में आँखे मिलाकर बात करना | यह सोच कर जायें की आप सभागार में सबसे श्रेष्ठ हैं |
  5. सहज-सरलता:-भाषण सहज रूप में और सरल भाषा में करें |ताकि श्रोता आसान भाषा में समझ सकते हैं |
  6. सकारात्मक सोच :- वक्ता को हमेशा सकारात्मक सोच रखना चाहिए  |
  7. प्रभावशीलता :- वक्ता का भाषण प्रभावशील हो | प्रभाव शील भाषण श्रोता सुनते हैं और ग्रहण करते हैं | कविता,श्लोक, लघु कहानी,  सन्दर्भ आदि के द्वारा श्रोता पर प्रभाव पड़ता हैं |
  8. बहुज्ञता :- वक्ता को भाषण के विषय के साथ बहुत सारे विषयों का अभ्यास करना चाहिए | वक्ता को निरतर अपने ज्ञान में वृद्धि करना चाहिए | पुस्तक, पत्रिका, समाचार पत्र पढने के साथ समाचार आदि से ज्ञान बढ़ाया जा सकता हैं |
  9. ज्ञानवर्धक :- भाषण ज्ञानवर्धक हो तो श्रोता सुनते हैं |
  10. नियोजनबद्धता :- वक्ता अपने भाषण को नियोजन बद्ध तरीके से प्रस्तुत करें | अच्छी तरह से तैयारी करके ही मंच पर उतरें |  आरम्भ, मध्य, अंत | समयानुकूल गम्भीर रहे या हास्य-विनोद का  प्रयोग करें |
  11. अच्छे वक्ता को सुनना :- अच्छे वक्ता के भाषण को सुनकर भाषण कला में निखार आ सकता हैं |
  12. निर्भयता :- मन का भय दूर करना होगा | मंच पर बार-बार जाने से भय दूर होता हैं |
  13. मुखोदगत :- भाषण बिना देखें मुखोदगत बोलना चाहिए | जिससे श्रोता पर प्रभाव पड़ता हैं | अभ्यास करना होगा |
  14. दोहराव से बचे :- मंच पर एक ही बात को बार-बार न दोहराएँ |
  15. समय सुचकता :-श्रोता की मानसिकता को देखकर ही बोलना चाहियें |
  16. क्षमाभाव :- भाषण में गलती होने पर उसे स्वीकार करें | और क्षमा करें, माफ कीजिये जैसे शब्दों का प्रयोग हो |
  17. उत्साहवर्धकता :- श्रोता में उत्साह भरनेवाला भाषण एवं रोमांचक हो | बार-बार के अभ्यास से सम्भव हो सकता हैं |
  18. भाषा की पकड़ :- जिस भाषा में वह भाषण कर रहा हैं | उस भाषा में उसकी पकड़ होना आवश्यक हैं |
  19. वेशभूषा:- भाषण के साथ वक्ता की वेशभूषा भी प्रभाव उत्पन्न करती हैं |
  20. हावभाव:- वक्ता को भाषण करते समय अपने चेहरे और हाथों के ईशारों का प्रयोग भी करना चाहिए |
  21. अभिनेयता :-अभिनेयता से श्रोता को एक सूत्र में बाँधा जा सकता हैं |
  22. गेयता :- भाषण समयानुकूल गीतों,कविताओं को गाकर प्रस्तुत करने से सभागार में पकड़ बनी रहती हैं |
  23. सन्दर्भों का प्रयोग :- भाषण तर्क, सन्दर्भ एवं विवेक पूर्ण होना चाहियें | पुस्तक आदि से लिया गया सन्दर्भ उसके पेज नुम्बर, लेखक आदि का उल्लेख होंना चाहिए |
  24. समापन :- भाषण के सारांश के साथ धन्यवाद या जय हिन्द आदि शब्दों का प्रयोग करें | अंत में कविता, शायरी आदि का प्रयोग हो |

वस्तुतः
ईस प्रकार हम देख सकते हैं कि अच्छा वक्ता बनने के लिए वक्ता के गुणों का पता होना आवश्यक होता हैं | जिस कारण वह अभ्यास के जरिये अच्छा वक्ता बन सकता हैं |

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