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यशवंत में आजादी का अमृत महोत्सव एवं हिंदी साहित्य विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार सम्पन्न



 यशवंत में आजादी का अमृत महोत्सव एवं हिंदी साहित्य विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार सम्पन्न

    नांदेड़-25 जनवरी,२०२२ को गूगल मिट के आभासी सभागार में नांदेड़ के यशवंत महाविद्यालय हिंदी विभाग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया था | इस वेबीनार का विषय आजादी का अमृत महोत्सव एवं हिंदी साहित्य रहा | इस वक्त मंच पर वेबीनार के आयोजक मार्गदर्शक एवं प्रेरणास्थान महाविद्यालय के प्रधानाचार्य गणेशचन्द्र शिंदे, आयोजक डॉ.विजयसिंह ठाकुर, डॉ.शोभा ढानकीकर, संयोजक डॉ.सुनील जाधव, बीजवक्ता प्रो डॉ.संदीप रणभीरकर राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर, प्रमुख वक्ता प्रो.डॉ.हाश्म बेग मिर्झा, कला, विज्ञान एवं वाणिज्य महाविद्यालय, नलदुर्ग, महाराष्ट्र, एवं हिंदी विभाग से डॉ.ज्योति मुंगल उपस्थित थे|    

                

 कार्यक्रम तीन सत्रों में सम्पन्न हुआ | पहला उद्घाटन का सत्र था | इस सत्र का आरम्भ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के वर दे वीणा वादिनी वर दे इस गीत से गायिका प्रियंका की आवाज में हुआ | तो वहीं संचलन करते हुए डॉ.सुनील जाधव ने वेबीनार का उद्देश्य आजादी के इन ७५ सालो में हिंदी साहित्य का योगदान पर चर्चा करना रहा हैं, स्पष्ट किया | तो कार्यक्रम की भूमिका एवं अतिथि का परिचय डॉ.शोभा ढानकीकर ने दिया | उपरांत उद्घाटकीय संदेश में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ.गणेशचन्द्र शिंदे जी ने वेबीनार की सफलता का संदेश दिया | बीजवक्ता डॉ.संदीप रणभीरकर जी ने हिंदी साहित्य की पूर्वपीठिका बताते हुए भक्तिकाल को आम जनता में देवत्व का बीजारोपण करने वाला बताया तो वहीं रामायण, महाभारत के बाद आम जनता के सहभाग के कारण स्वाधीनता आन्दोलन को तीसरा बड़ा युद्ध बताया | वहीं हिंदी साहित्य के ७५ सालों में हुए विभिन्न बदलाओं  पर नया दृष्टिकोण प्रदान किया | सत्र का अंत डॉ.विजयसिंह ठाकुर द्वारा आभार प्रदर्शन के साथ हुआ |

            दूसरे सत्र में संचलन डॉ.सुनील जाधव द्वारा हुआ तो परिचय डॉ.शोभा ढानकीकर ने दिया | सोलापुर से पधारे प्रो.डॉ.हाशमबेग मिर्झा जी ने दक्खिनी हिंदी के उदभव और विकास पर कलात्मक ढंग से प्रकाश डालते हुए आजादी के ७५ सालों में दक्खिनी साहित्य की प्रगल्भता को विस्तार से स्पष्ट किया | और दक्खिनी हिंदी को हिन्दू-मुस्लिमो में एकता का सूत्र पात करनेवाला बताया | सत्र का अध्यक्षीय स्थान प्रो.डॉ.संदीप रणभीरकर ने भूषित किया तो आभार डॉ.ज्योति मुंगल ने व्यक्त किया | समापन सत्र का संचलन डॉ.शोभा ढानकीकर  ने किया एवं महाविद्यालय के प्रधानाचार्य की अनुपस्थिति में विभाग के डॉ. विजयसिंह ठाकुर ने अध्यक्षीय समारोप एवं प्रमुख वक्ताओं तथा हिंदी विभाग द्वारा किये गए परिश्रम के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए भारी तादाद में उपस्थित विभिन्न महाविद्यालयों के अध्यापक एवं छात्रों का आभार व्यक्त किया|



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