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कला वे क्रियाएँ हैं, जिन्हमें कौशल अपेक्षित हैं - प्राचार्य गणेशचन्द्र शिंदे


          

बाएँ से - रानी माटे, डॉ.ज्योति मुंगल, कोमल चव्हाण, पूनम इंगोले, मनीषा चक्रधर, प्रचार्य गणेश चन्द्र शिंदे,डॉ.सुनील जाधव, डॉ.विजयसिंह ठाकुर, योगेश कलंदर, मु.जुबेर, शेख सुफियान, हरिकरपांडुरंग, जयदीप गुर्र्म 


  विश्व पुस्तक दिवस के उपलक्ष्य में एक दिवस पूर्व हिंदी विभाग, यशवंत महाविद्यालय, नांदेड़ के छात्र लेखकों के द्वारा स्वयं लिखित कविताओं पर आधारित “कला की उड़ान’ भित्ति पत्रक का लोकार्पण समारोह प्राचार्य गणेशचन्द्र शिंदे जी के कर कमलों से सम्पन्न  हुआ | लोकार्पण समय छात्रों को सम्बोधित करते हुए छात्रों की कविताओं पर अपना मत रखा और कला का महत्व प्रतिपादित करते हुए कहा, “कला वे क्रियाएँ हैं, जिन्हमें  कौशल अपेक्षित हैं|”

 भित्ति पत्रक को डॉ.सुनील जाधव जी का मार्गदर्शन रहा | इस समारोह में हिंदी विभाग के डॉ.विजयसिंह ठाकुर, डॉ.ज्योति मुंगल आदि उपस्थित थे | भित्ति पत्रक में विषयों में शिक्षा, स्त्री, कोरोना, विभिन्न समस्या, वर्तमान दुनिया का  वास्तव, सोशल मीडिया से जुडा छात्रों का जीवन, मन की भावनाओं, प्रकृति चित्रण, प्रेम, पाठशाला, जीवन का संघर्ष, मनुष्य का प्रारब्ध, कलम की शक्ति आदि विषयों पर आधारित छात्र कवियों ने मन की भावनाओं एवं विचारों की मौलिक अभिव्यक्ति की हैं |

            भित्ति पत्रक का सम्पादक मण्डल इस प्रकार रहा | सम्पादक- कु.मनीषा चक्रधर, मु.जुबेर, उप सम्पादक-कु.कोमल चव्हाण, कु.रानी माटे, कु.पूनम इंगोले ,योगेश कलंदर, सदस्य -हरिकर पांडुरंग, नेहा मुनेश्वर, शिवानी भांगे, पायल वारकड, अनुदिप  गुर्र्म |








कला म्हणजे तो उपक्रम ज्यासाठी कौशल्य लागते - प्राचार्य गणेशचंद्र शिंदे


 


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