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विश्व में एक समान होते हैं, मानवीय मूल्य!- प्रो. डॉ. सिराजुद्दीन नूरमुताओ




श्री शारदा भवन एजुकेशन सोसाइटी संचालित यशवंत महाविद्यालय द्वारा 16 और 17 दिसंबर को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बहु भाषा सम्मेलन संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में देश विदेश के प्रतिभागी एवं विभिन्न वक्ता सम्मिलित हुए। इस सम्मेलन के बीज वक्ता के रूप में उज्बेकिस्तान के ताशकंद शहर के ताशकंद प्राच्य विश्वविद्यालय, ताशकंद के हिंदी विभाग प्रमुख प्रो. डॉ. सिराजुद्दीन नूरमुताओ आमंत्रित थे। सिराजुद्दीन जी ने ७० से अधिक फिल्मों का उज्बेकी भाषा में अनुवाद किया | १०० से अधिक स्तरीय आलेख हिंदी, उर्दू, रशियन, उज्बेकी भाषा में लिखें | तथा उनके पाँच से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं | हिंदी के प्रचार-प्रसार में आपका विशेष योगदान रहा हैं |

आप ने बीज वक्तव्य देते हुए समाज और साहित्य में मानवीय मूल्यों का महत्व एवं स्थान पर विशेष चर्चा की। साथ ही उन्होंने बताया की उज्बेकिस्तान में जिस प्रकार से साहित्य और समाज में मानवीय मूल्य है। उसी प्रकार से भारतीय समाज एवं भारतीय साहित्य में भी मानवीय मूल्य दिखाई देते हैं। आज समाज जिस दिशा में जा रहा है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि मानवीय मूल्यों की आज नितांत आवश्यकता है।

इस वक्त मंच प्रो.डॉ.युसुफ अमेर (Egyptian Senate) कुलपति अल अजहर विश्वविद्यालय, कैरो, मिस्र, प्रो.डॉ.नम्रता बगाड़े, ओस्मानिया विश्वविद्यालय, हेदराबाद, प्रो.डॉ.खाजा इक्रामोद्दीन, दिल्ली,सूत्र संचालक के रूप में  डॉ.सुनील जाधव विराजमान थे | स्वा.रा.ती.म.विश्वविद्यालय के पूर्व प्र-कुलपति एवं प्राचार्य गणेशचन्द्र शिंदे जी के मार्गदर्शन के आधीन कार्यक्रम की प्रस्तावना यशवंत महाविद्यालय के हिंदी विभाग प्रमुख प्रो. डॉ.संदीप पाइकराव ने की तो आभार प्रो. डॉ. साईनाथ शाहू ने प्रकट किया। तथा बीज वक्तव्य के सत्र का संचालन हिंदी विभाग के डॉ. सुनील जाधव ने किया।










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