सुनील जाधव की एक कविता को दिसंबर 21, 2012 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप सुनील जाधव ,नांदेड एक बूंद आँसू में समायी होती है पीड़ा | पहाड़ जितनी ऊँची बवंडर जैसे शक्तिशाली | टिप्पणियाँ Anju (Anu) Chaudhary21 दिसंबर 2012 को 5:54 pm बजेइस दर्द की कोई इन्तेहाँ नहीं है जवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंबेनामी22 दिसंबर 2012 को 10:44 pm बजेDil ko chhulenevali kavita .जवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंटिप्पणी जोड़ेंज़्यादा लोड करें... एक टिप्पणी भेजें
इस दर्द की कोई इन्तेहाँ नहीं है
जवाब देंहटाएंDil ko chhulenevali kavita .
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