कम्बोडिया थाईलैंड के सीमावर्ती भाग पर उस दिन प्रसिद्ध
नृत्यांगना बहन चित्रा जांगिड़ जी सुन्दर एवं वास्तविक दृशों को अपने कैमरे में कैद
कर रही थी | मस्तिष्क कोष के स्मृति पटल पर वे आजीवन अंकित हो चुके थे | पर स्मृति
कभी धुंदली हो जाए तो स्मरण दिलाने के लिए तस्वीरें कारगर थी | एक के बाद एक
तस्वीरे कैद हो रहे थे | सुन्दर कम्बोडियन लडकियाँ, सौदा बेचने वाले, दुपय्या
यंत्र, फल बेचनेवाले, स्मारक, भवन आदि-आदि जितनी तस्वीरें निकल सकती थी उतनी वे
निकाल रहे थे | एक तस्वीर उन्होंने वहाँ के
पुलिस वाले के साथ भी खिचवाई थी | जब
उन्होंने अपनी तस्वीरे तथा सुंदर दृशों को देखा तो वे प्रसन्न हो गये थे | पर जब उन्होंने
गरिबी को प्रदर्शित करने वाले दृश देखें तब उन्ह से रहा नहीं गया | उन्होंने उन
तस्वीरों को बहन से डिलीट करने के लिए कहा,
‘’ कृपया आप ये तस्वीरे डिलीट कीजिये |’’
‘’ क्यों ?’’ बहन ने कहा था |
‘’ ये तस्वीरे हमारी गरीबी को प्रदर्शित करते है | भारत में
लोग यह तस्वीरे देखेंगे तो वे हमारे देश नहीं आयेंगे | पर्यटन से हमारी आर्थिक
स्थति सुधरेगी | ’’
‘’ मैं आप से वादा करती हूँ कि इसे किसी को भी नहीं
दिखाउंगी | इसे मैं अपने लिए तो रख सकती हूँ ना ? क्योंकि ये मेरी स्मृतियाँ है |’’
वह मान गया था |
इस पर मुझे भारत की याद हो आयी थी | विदेशी लोग
हमारा कौनसा चेहरा उनके देश में दिखाते है ?
डॉ.सुनील जाधव,
नांदेड
महाराष्ट्र
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