विज्ञापन लेखन में रोजगार की संभावनाएं!
- प्रा. डॉ. मनोहर चपळे
नांदेड :- १० मार्च,२०२५
प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान योजना अंतर्गत श्री शारदा भवन एज्युकेशन सोसाइटी संचालित यशवंत महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित 'हिंदी सामग्री लेखन' ऐड- ऑन कोर्स के अंतर्गत महाविद्यालय के प्राचार्य तथा स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाडा विश्वविद्यालय नांदेड के पूर्व प्र- कुलपति डॉ. गणेशचंद्र शिंदे जी के मार्गदर्शन में विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महात्मा बसवेश्वर महाविद्यालय, लातूर के हिंदी विभाग प्रमुख, डॉ. मनोहर चपळे,मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने "विज्ञापन लेखन कौशल" पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के सुत्रसंचलन में भूमिका प्रस्तुत करते हुए डॉ. सुनील जाधव जी ने कहा कि "आज पूरा विश्व एक बाजार बन चुका है, जहां कोई भी व्यक्ति कहीं से भी वस्तु का विक्रय कर सकता है। आवश्यकता इस बात की है कि उसे विज्ञान और कला का समुचित ज्ञान हो।"
आगे विशेष अतिथि प्रा. डॉं. मनोहर चपळे जी ने विज्ञापन लेखन के क्षेत्र से छात्रों को लाभान्वित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि विज्ञापन का उद्देश्य उपभोक्ता को किसी वस्तु की आवश्यकता महसूस कराना होता है, भले ही वह अनिवार्य न हो। इसके लिए भाषा, चित्र, ध्वनि एवं प्रभावशाली व्यक्तित्वों का कुशल उपयोग किया जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि निरमा और बूस्ट जैसे उत्पादों ने प्रभावी विज्ञापन के बल पर अपार लोकप्रियता प्राप्त की। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अच्छी विज्ञापन लेखन कौशल एक कला ही नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण रोजगार का अवसर भी है। इसमें कल्पनाशक्ति, बुद्धि, और सामाजिक प्रवृत्तियों की गहरी समझ आवश्यक होती है। उनके वक्तव्य में विज्ञापन की भूमिका, उसके प्रभाव और व्यावसायिक सफलता में इसके योगदान पर विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यक्रम का अध्यक्षीय समारोप करते हुए हिंदी विभाग प्रमुख प्रो. संदीप पाईकराव ने वक्ता के विचारों को सराहते हुए, विज्ञापन से मिलने वाले रोजगार की संभावनाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया। इस अवसर पर वक्ता का परिचय डॉ. साईनाथ बिंदगे ने प्रस्तुत किया और कार्यक्रम का सूत्रसंचालन डॉ. सुनील जाधव ने किया। अंत में, डॉ. साईनाथ शाहू ने सबके प्रति आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में प्राध्यापक एवं कई छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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