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समाचार लेखन एक कला है - प्रो. डॉ. मनोज पांडेय

 समाचार लेखन एक कला है - प्रो. डॉ. मनोज पांडेय

श्री शारदा भवन एज्युकेशन सोसाइटी संचालित यशवंत महाविद्यालय, नांदेड़ के हिंदी विभाग द्वारा प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान योजना के अंतर्गत 'हिंदी सामग्री लेखन' ऐड-ऑन कोर्स में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम महाविद्यालय के प्राचार्य एवं स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाडा विश्वविद्यालय, नांदेड़ के पूर्व प्र-कुलपति डॉ. गणेशचंद्र शिंदे के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।

बाएं से - डॉ.मनोज पाण्डेय, डॉ.सुनील जाधव,डॉ.संदीप पाईकराव, डॉ.संजय जगताप 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय
, नागपुर के हिंदी विभाग अध्यक्ष प्रो. डॉ. मनोज पांडेय थे। उन्होंने "समाचार लेखन कला" विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने पत्रकारिता सहित हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में रोजगार की अपार संभावनाओं पर जोर दिया और बताया कि भाषा कौशल (लिखने और बोलने की क्षमता) किसी भी व्यक्ति के जीवन में सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

डॉ. पांडेय ने समाचार लेखन की बुनियादी संरचना के रूप में छह ककारों—क्या (What), कब (When), कहाँ (Where), कौन (Who), क्यों (Why), और कैसे (How)का परिचय दिया और समझाया कि किसी घटना (जैसे महाविद्यालय में आयोजित व्याख्यान) को इन तत्वों के आधार पर कैसे प्रस्तुत किया जा सकता है। उन्होंने छात्रों को हाल ही में मनाए गए हिंदी दिवस पर इन ककारों का उपयोग करके एक समाचार लिखने का अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने समाचार लेखन की 'उल्टा पिरामिड' शैली की भी व्याख्या की, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण जानकारी (मुखड़ा) पहले दी जाती है, उसके बाद कम महत्वपूर्ण जानकारी, और अंत में पृष्ठभूमि या अन्य विवरण होते हैं। उन्होंने बताया कि समाचार तथ्यों पर आधारित होना चाहिए, छोटे वाक्यों व पैराग्राफों का उपयोग करना चाहिए, और इसे पाठक की रुचि व जरूरतों को ध्यान में रखकर लिखना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. संदीप पाईकराव ने की। उन्होंने विषय की महत्ता को रेखांकित करते हुए वक्ता के विचारों की सराहना की। संचालन एवं भूमिका डॉ. सुनील जाधव ने प्रस्तुत की, जबकि अतिथि परिचय एवं आभार प्रदर्शन डॉ. साईनाथ शाहू ने किया।

इस अवसर पर मंच पर मराठी विभाग प्रमुख संजय जगताप सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान कला उत्सव की विभिन्न प्रतियोगिताओं के प्रमाणपत्र अतिथियों के हाथों वितरित किए गए और छात्रों के लिए इस उत्सव की उपयोगिता पर जोर दिया गया।

सभागार में प्रा. विश्वाधर देशमुख, डॉ. शिवाजी सूर्यवंशी, उर्दू विभाग प्रमुख शबाना दुर्रानी, डॉ. आज़हर, डॉ. मुझमिल सहित महाविद्यालय के अनेक शिक्षक उपस्थित थे।

यह व्याख्यान समाचार लेखन कला के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को समझने और इसे करियर के रूप में अपनाने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध हुआ।

 

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