एक बूंद पानी की
कमल पत्र पर
मोती बनजाती हैं
बनजाता हैं
उसका सुन्दर अस्तित्व
नहीं देती जलनिधि में वह दिखाई
वह हो जाती हैं
अस्तित्व हीन
पाकर स्पर्श कमल पत का
वह उभरती हैं दुनिया के सामने
स्पष्ट आकर्षित आकार लेकर |
सौन्दर्य खिल उठता हैं
कमल पत्त का भी
बिन कमल के
उस एक बूंद से ही
मैं भी समाज की जलनिधि में
अस्तित्व हीन बन गया
हूँ |
मैं भी
बनना चाहता हूँ
वह एक बूंद
जो
कमल पत्त का सहारा पाकर
सुन्दर बन जाता हैं |
डॉ.सुनील जाधव
चलभाष : -०९४०५३८४६७२
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें