संतोष टेल्किकर की एक कविता को दिसंबर 15, 2012 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप मैं, आज बहुत उदास हूँ| क्यों ? किसलिए ? मैं नहीं जानता| पर हां इतना जरूर जानता हूँ | मनुष्य को धन-दौलत से बढ़कर होता है मानमर्तबा | होती है उसकी अपनी अहमियत | जमीन और अपना अस्तित्व...| संतोष टेल्किकर ,कलकत्ता टिप्पणियाँ
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