
एक लड़का विनम्र स्वभाव वाला मेरे पास आया और उसने कहा ,
''सर, मैं भी नृत्य में सहभाग लेना चाहता हूँ |
आप जो कहोगे मैं वह करने के लिए तैयार हूँ | आप
मुझसे जितनी मेहनत चाहे करवाले | मैं आप को निराश नही करूंगा
|''
इस पर मैंने उसकी उत्कंठा को देखकर कहा था ,
''
ठीक है , में तुझे इस नृत्य में शामिल कर सकता
हूँ | पर मैं प्रेक्टिस दिन में या श्याम को नही लेता |
सुबह ०४:०० बजे लेता हूँ | वह भी कॉलेज में
नहीं एयर पोर्ट ग्राउंड में ..| यदि तुम्हे मंजूर हो तो हाँ
कहना |''
उसने तनिक भी देरी न करते हुए कहा था |
''सर,मैं तैयार हूँ ? मैं सुबह
०४:०० बजे पहुँच जाउँगा |''
मैंने जिस सुबह आने के लिए कहा था, वह बिलकुल आ गया था | मैं
सुबह ०३:५० मिनट पर पहुंचा था | एयर पोर्ट पर अबतक कोई नहीं
आया था | पर अँधेरे में मुझे एक आकृति दिखाई दी जो बैठने के
स्थान पर बैठा था | अचानक वहां से आवाज आई |
''सर,मैं संतोष वडगिर हूँ |''
''मैंने उससे कहा तू आगया, कब आया रे ?''
उसने बताया ,''
सर मैं यहाँ ०३:०० बजे ही पहुँच गया | और मैं
तब से यहाँ कसरत कर रहा हूँ |''
''तू रात भर सोया नहीं क्या ? इतने जल्दी आ गया |''
वास्तव में वह रात भर सोया नही था | वह सुबह होने की प्रतीक्षा कर रहा था | उसमें किसी भी कार्य को करने का एक जनून था |
आगे उसके और अन्य उस जैसे ९ छात्रों ने मिलकर खूब मेहनत की थी | और युवक महोत्सव में रिकॉर्ड तोड़ अंक लेकर प्रथम
क्रम प्राप्त किया था |आजतक उस रिकोर्ड को किसी ने भी ब्रेक
नही किया है | आज भी वह यादे ताजा है | जब भी संतोष जैसे छात्र मुझसे मिलने के लिए आते है , तो मैं अतीत में खो जाता हूँ |
डॉ.सुनील जाधव ,नांदेड
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