हिंदी साहित्यकार डॉ.सुनील जाधव द्वारा लिखित ‘’भ्रूण’’ एकांकी नाटक का मराठी में अनुदित साहित्यकार संगीता घुग्गे के ‘’भ्रूण’’ एकांकी नाटक का विमोचन
विधायक सौ.अमिता चव्हाण के हाथों विमोचन, साथ में डॉ.सुनील जाधव, डॉ.संगीता घुग्गे, डॉ.संजीवकुमार पंचाल, सौ.पतंगे, श्री.स्वामी |
नांदेड-
आज तिथि १७-०८-१४ को यशवंत महाविद्यालय मराठी विभाग के वरिष्ठ अध्यापक एवं मराठी
साहित्यकार डॉ.संगीता घुग्गे जी द्वारा हिंदी साहित्यकार डॉ.सुनील जाधव लिखित
हिंदी एकांकी नाटक का मराठी में अनुदित एकांकी नाटक ‘’भ्रूण’’ का विमोचन लोकप्रिय
विभूति सौ.अमिताभाभी चव्हाण जी के कर कमलों से सपन्न हुआ |
स्त्री
भ्रूण हत्या आज के आधुनिक समाज को लगा हुआ कलंक है | वह माँ, पत्नी, बहु, बहन के
रूप में स्वीकार्य तो है, पर बेटी के रूप में हर्ष कम ही दिखाई देता है | आज हम
चाहे जितनी भी सभ्यता की डींगे हांक ले, स्त्री-पुरुष समानता के हवाई किले बना
लें, किन्तु इससे परें वास्तव कुछ भिन्न ही दिखाई देता है | भ्रूण की प्रासंगिकता
को लेकर सौ.अमिताभाभी जी ने अपना मन्तव्य रखते हुए कहा,’’ भ्रूण हत्या समाज को लगा
हुआ शाप हैं | स्त्री भ्रूण हत्या, लड़की को समाज एवं परिवार में मिलनेवाला दोयाम
दर्जा; जैसे विषय आज ज्वलंत समस्या बनकर उभर रहे हैं | आवश्यकता है, समाज जागृति
की | साहित्य से बड़कर समाज जागृत और कौन सी हो सकती है ? मराठी साहित्यकार संगीता
घुग्गे जी ने ऐसे ही ज्वलंत समस्या पर आधारित हिंदी के साहित्यकार सुनील जाधव
द्वारा लिखित लोकप्रिय एकांकी नाटक भ्रूण का हिंदी से मराठी में अनुवाद कर मराठी
साहित्य को प्रगल्भ किया है | यह नाटक आज भी प्रासंगिक है | संगीता घुग्गे जी को
इस नई पुस्तक के लिए ढेर सारी बधाई |’’
अनुदित
भ्रूण एकांकी नाटक की समीक्षा करते हुए मराठी के नवोदित साहित्यकार संजयकुमार
पंचाल जी ने कहा,‘’लड़कियों पर लगाई गई सामजिक पाबंदी में नई सोंच की सुरंग लगाकर
जन जागृति की गई हैं |’’ तो पश्च पृष्ठ पर रानी चन्नमा विद्यापीठ, कर्नाटक के साहित्यकार
डॉ.मुत्तवल्ली मैजोद्दीन जी ने घुग्गे जी को संवेदनशील साहित्यकार बताकर भ्रूण की
सामाजिक अनुभूति के महत्व को विशद किया | आप ने भ्रूण एकांकी नाटक का कन्नड़ में
अनुवाद किया हैं |
विमोचन के
अवसर पर स्वयं हिंदी के साहित्यकार डॉ.सुनील जाधव जी उपस्थित थे | उन्होंने मराठी
अनुवाद करने पर संगीता घुग्गे जी के आभार प्रकट करते हुए कहा, ‘’ भ्रूण हत्या की
समस्या मेरी या आपकी नहीं बल्कि यह वैश्विक समस्या हैं | मराठी भाषी संवेदनशील
लोगों तक ईस विषय को पहुंचाकर आपने समाज एवं राष्ट्र के प्रगति में योगदान दिया
हैं | ‘’
इस प्रसंग
में महाविद्यालय के कन्नड़ एवं मराठी के साहित्यकार संजयकुमार पंचाल एवं सौ. पतंगे
मैडम आदि की उपस्थिति ने हौसला बढ़ाया |
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