मॉरिशस में भारतीय ज्ञान प्रणाली का प्रभाव गिरमिटिया मजदूरों के माध्यम से पहुंचा- डॉ. तनुजा पदारथ बिहारी, मॉरिशस
मॉरिशस में भारतीय ज्ञान प्रणाली का प्रभाव गिरमिटिया मजदूरों के माध्यम से पहुंचा- डॉ. तनुजा पदारथ बिहारी, मॉरिशस
मॉरिशस
में भारतीय ज्ञान प्रणाली का प्रभाव गिरमिटिया मजदूरों के माध्यम से पहुंचा, जो
1834 में भारत से मॉरिशस लाए गए थे। इन मजदूरों ने अपने साथ भारतीय संस्कृति,
धर्म, संगीत, और साहित्य
को लेकर आए,
जिसने मॉरिशस की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को
गहराई से प्रभावित किया। मॉरिशस में भोजपुरी लोक संस्कृति का गहरा प्रभाव है।
भोजपुरी लोकगीत, नृत्य, और संगीत आज भी
मॉरिशस के लोगों के जीवन का अहम हिस्सा हैं। गीत गवाई की परंपरा, जो हिंदू विवाह और अन्य संस्कारों से जुड़ी है, को
यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी है। मॉरिशस
में हिंदू धर्म का गहरा प्रभाव है।
रामायण, हनुमान चालीसा,
और अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ और गायन आम है। काली माई की पूजा,
रामलीला, और अन्य धार्मिक आयोजन मॉरिशस के
हिंदुओं के जीवन का अभिन्न अंग हैं। योग और आयुर्वेद का प्रभाव भी मॉरिशस में देखा
जा सकता है। योग दिवस का आयोजन और आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्रों की स्थापना इसका
प्रमाण है। मॉरिशस विश्वविद्यालय में आयुर्वेद पर शोध और शिक्षण कार्यक्रम भी चल
रहे हैं। मॉरिशस के हिंदू समुदाय ने भारतीय सांस्कृतिक पहनावे और पर्वों को संजोया
है। दीपावली, रामनवमी, और मकर
संक्रांति जैसे त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। पारंपरिक भोजन जैसे
खिचड़ी, दाल पूरी, और अन्य व्यंजन भी
मॉरिशस के लोगों के जीवन का हिस्सा हैं। भारतीय ज्ञान प्रणाली ने न केवल मॉरिशस
बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित किया है। वेद, उपनिषद, और अन्य प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान आज भी प्रासंगिक है। भारतीय ज्ञान
प्रणाली का भविष्य उज्ज्वल है, और यह मानवता को शांति,
समृद्धि, और संतुलित जीवन जीने का मार्ग
दिखाएगी।
श्री
शारदा भवन एजुकेशन सोसाइटी संस्था संचालित यशवंत महाविद्यालय, नांदेड़ के हिंदी
विभाग द्वारा 10
और 11 फरवरी 2025 को
शंकरराव चव्हाण स्मृति भवन, नांदेड़ में भारतीय ज्ञान प्रणाली
वैश्विक परिदृश्य इस विषय पर दो दिवसीय
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। इस उपलक्ष में उन्हें विशेष वक्ता के
रूप में आमंत्रित किया गया था। सत्र के अध्यक्ष रूप में चीन के कोंगतोंग विदेशी
भाषा विश्वविद्यालय डॉ. विवेकमणि त्रिपाठी विराजमान थे | विशेष व्याख्यान के इस
सत्र में वक्ता का परिचय करवाते हुए सत्र का सूत्र संचालन विद्वत्ता पूर्ण ढंग से डॉ.सुनील जाधव ने किया| वहीं सत्र का धन्यवाद ज्ञापन डॉ.काज़ी ने
किया। इस वक्त संगोष्ठी के आयोजक रूप में प्रधानाचार्य गणेशचन्द्र शिंदे,
हिंदी विभाग प्रमुख डॉ.संदीप पाईकराव, डॉ.साईनाथ शाहु तथा भरत के विभिन्न प्रांतों
से पधारे प्राध्यापक सभागार में उपस्थित थे |
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