भाषा दिल से सीखे तो मरने तक रहती है-प्रो. अनुषा नीलमणि, श्रीलंका{ छात्रों को श्रीलंका की सिंहली भाषा पढ़ाई}
भाषा दिल से सीखे तो मरने तक रहती है-प्रो. अनुषा नीलमणि, श्रीलंका{ छात्रों को श्रीलंका की सिंहली भाषा पढ़ाई}
श्री शारदा भवन एजुकेशन सोसाइटी संचालित यशवंत महाविद्यालय, नांदेड के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित विशेष अतिथि व्याख्यान में श्रीलंका के केलणिय विश्वविद्यालय कोलंबो से प्रो. अनुषा नीलमणि जी को आमंत्रित किया गया था। इस वक्त मंच पर अध्यक्ष के रूप में महाविद्यालय की उप प्रधानाचार्य प्रो.डॉ.कविता सोनकांबळे, अंग्रेजी विभाग के डॉ. पदमा रानी राव, लोक प्रशासन विभाग से डॉ. मीरा फड़, हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. संदीप पाईकराव, डॉ. साईनाथ शाहु और हिंदी साहित्यकार डॉ. सुनील जाधव विराजमान थेlकार्यक्रम का आरंभ कुमारी वैष्णवी मंदेवाड और कुमारी कोमल कागदेवाड के स्वागत गीत से हुआ तो वही कार्यक्रम की भूमिका हिंदी विभाग प्रमुख संदीप पाईकराव ने प्रस्तुत की तो वहीं कार्यक्रम का सूत्र संचालन डॉ.सुनील जाधव ने किया |अतिथि व्याख्यान करते हुए अनुषा नीलमणि जी ने छात्रों को श्रीलंका के हिंदी की स्थिति से अवगत कराते हुए सिंहली भाषा को छात्रों को पढाने की कोशिश की और उनमें सिहाली भाषा के प्रति रोचकता जगाई और श्रीलंका से ऑनलाइन सिहंली भाषा पढाने का भविष्य में प्रयास रहेगा ऐसा संदेश उन्होंने छात्रों को दिया।
उपरांत अध्यक्ष समारोप करते हुए महाविद्यालय के उप प्रधानाचार्य डॉ. कविता सोनकांबळे जी ने श्रीलंका से पधारे अतिथि के व्याख्यान की तारीफ करते हुए उनके द्वारा ऑनलाइन कक्षा चलाई जाने का समर्थन किया और हम प्रतीक्षा में रहेंगे का संबोधन उन्होंने किया। अंतिम आभार प्रदर्शन विभाग के डॉ. साईनाथ शाहु जी ने किया। इस वक्त सभागार में भारी मात्रा में छात्र उपस्थित थे।
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