ग़ालिब की शायरी: जीवन दर्शन और मानवीय चेतना का महासागर - डॉ. दीपक रूहानी (मिर्ज़ा ग़ालिब की 228 वीं जयंती पर ' प्रो. रमा नवले शिष्य समूह ' द्वारा विशेष ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित) नांदेड़: उर्दू और फारसी के महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की 228 वीं जयंती के उपलक्ष्य में ' प्रो. रमा नवले शिष्य समूह ' की ओर से एक भव्य ऑनलाइन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। ' मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी के विविध आयाम ' विषय पर केंद्रित इस कार्यक्रम में देश भर के 1 00 से अधिक प्रबुद्ध विद्वानों , शोधार्थियों और प्राध्यापकों ने सहभागिता की। यह आयोजन संस्थानिक ढांचे से हटकर गुरु-शिष्य परंपरा के एक अनूठे उदाहरण के रूप में सामने आया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता , ' यादगार-ए-ग़ालिब ' के प्रसिद्ध अनुवादक और विद्वान डॉ. दीपक रूहानी (प्रतापगढ़) ने ग़ालिब के काव्य संसार की नई व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने कहा:ग़ालिब की शायरी केवल विरह-वेदना तक सीमित नहीं है। उन्होंने मनुष्य के अस्तित्व को ' क़तरा ' ( बूंद) और ईश्वर को ' दरिया ' ( सागर) के रूप में देखते हुए जीवन की गहरी...
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप